October 16, 2025

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जल विज्ञान जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं सतत विकास हेतु महत्वपूर्ण – मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में आज अंतर्राष्ट्रीय जल विज्ञान संघ (आईएएचएस)की बारहवीं वैज्ञानिक सभा का उद्घाटन किया गया। इस सभा में दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिक, शोधकर्ता एवं नीति निर्माता सतत जल संसाधन प्रबंधन, जल विज्ञान संबंधी नवाचारों एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्रित हुए हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड, आनंद बर्द्धन ने सत्र का उद्घाटन किया और जल विज्ञान अनुसंधान और इसके सामाजिक अनुप्रयोगों को आगे बढ़ाने में उनके वैश्विक योगदान के लिए आईआईटी रुड़की एवं आईएएचएस की सराहना की।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि जल विज्ञान जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं सतत विकास हेतु महत्वपूर्ण है। आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान वैश्विक ज्ञान को स्थानीय समाधानों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो समुदायों और नीति निर्माताओं दोनों को सशक्त बनाते हैं।

आईआईटी रुड़की में आयोजित यह आईएएचएस वैज्ञानिक सभा नवाचार, सहयोग एवं ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्विक जल चुनौतियों के समाधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह जल विज्ञान अनुसंधान एवं सतत जल प्रबंधन में भारत की अग्रणी भूमिका को सुदृढ़ करती है।

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह छह दिवसीय सभा नए विचारों, दीर्घकालिक साझेदारियों और परिवर्तनकारी नवाचारों को प्रेरित करेगी, जो जल विज्ञान एवं समाज दोनों के लिए सार्थक योगदान देंगी। सत्र के दौरान आईएएचएस वैज्ञानिक सभा 2025 की कार्यवाही का विमोचन भी किया गया, जो एक सप्ताह तक चलने वाले वैज्ञानिक विचार-विमर्श, तकनीकी सत्रों, प्रदर्शनी एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोगों की शुरुआत का प्रतीक है।

इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत, आईएएचएस के अध्यक्ष प्रो. साल्वातोरे ग्रिमाल्डी, आईएनएसए के उपाध्यक्ष एवं सीएसआईआर-एनईआईएसटी के निदेशक डॉ. वी.एम. तिवारी, आईएएचएस एसए 2025 के अध्यक्ष प्रो. सुमित सेन तथा संयोजक प्रो. अंकित अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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